विश्व चाइल्ड लेबर दिवस

भारत समेत दुनिया के लगभग सभी देश चाइल्ड लेबर से पीड़त हैं। आज के आधुनिक समय में विकसित और विकाशील देशों के माथे पर चाइल्ड लेबर एक कलंक की तरह है। बेशक हर देश अपने अपने तरीके से इससे निपटने की कोशिश कर रहा है। लेकिन कोइ ज्यादा असर दिखाई नहीं देता। लगातार चाइल्ड लेबर के मामले सामने आ रहे हैं।credit: third party image reference

दुनियां भर के बाकी देशों की तरह भारत भी इस कलंक को मिटाने के लिए यतनशील है। भारत में चाइल्ड लेबर के लिए कानून बना हुआ है कि 14 साल की आयु से कम किसी बच्चे से लेबर का काम नहीं कराया जा सकता। अगर ऐसा करता कोई पकड़ा गया तो जुर्माना और सजा का प्रावधान किया गया है। लेकिन इसके बावजूद भारत चाइल्ड लेबर का गढ़ बना हुआ है।credit: third party image reference

भारत एक बहुत बड़ा देश है। इसमें 29 प्रांत हैं। भारत की ज्यादातर आबादी गरीब और अनपढ़ होने के कारण भी चाइल्ड लेबर का रुझान कम होने का नाम नहीं ले रहा। भारत की ज्यादातर आबादी गांवों में रहती है जहां गरीबी के कारण माता पिता बच्चों को अपनी सहायता के लिए काम करने अपने साथ ले जाते हैं। बच्चे भी अपनी घरेलू और आर्थिक स्थिति अनुसार पड़ना छोड़ कर काम करना शुरू कर देते हैं। इस लिए भारत में बहुत सारे बच्चे अपने परिवार की आर्थिक मदद करते हैं। credit: third party image reference

भारत में फैक्ट्रियों में , इंटे बनाना, पथर तोड़ना, सब्जी बेचना,कूड़ा करकट ढोना, लोगों के घरों में ऑफिस में साफ सफाई का काम करना, पटाखा फैक्ट्री में काम आदि ऐसे काम करते बच्चे देखे जा सकते हैं। इसमें कोई संदेह नहीं कि वो अपने परिवार की आर्थिक मदद करते हैं लेकिन कई बार बच्चों से बहुत सारे गैर कानूनी काम भी लिए जाते हैं।कई ऐसे भी केस सामने आते हैं जब गैर कानूनी फैक्ट्रियों में अमानवीय व्यवहार किया जाता है।credit: third party image reference

आज चलाइड लेबर दिवस पर हमें यह शपथ लेनी चाहिए के हम अपने देश से चाइल्ड लेबर को ख़तम कर देंगे। हमें इन मासूम बच्चों की मदद करनी चाहिए। जब भी हमें ऐसी किसी फैक्ट्री या किसी और चाइल्ड लेबर के बारे में पता चलता है तो हमें पुलिस को सूचित करना चाहिए।जरूरतमंद बच्चों की पढ़ाई की जिम्मेदारी उठानी चाहिए।

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